शिक्षण अभिवृत्ति/ अभिक्षमता (Teaching Aptitude) – UGC NET 2023/2024 Notes
शिक्षण का अर्थ (Meaning of Teaching)
शिक्षण मानवीय मूल्यों के विकास पर बल देता है, क्योंकि यह एक सामाजिक प्रक्रिया है। शिक्षण में सबसे महत्तवपूर्ण तत्व शिक्षक और विद्यार्थी के मध्य ‘प्रत्यक्ष वार्तालाप’ होता है। शिक्षण कोई मौलिक अवधारणा नहीं है, क्योंकि यह सामाजिक व मानवीय कारकों से गतिशील एवं प्रभावित होता है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत हम औपचारिक एवं अनौपचारिक रूप से सीखने के अनुभवों को विस्तार देते हैं। शिक्षण को हमारे समाज में बदलाव लाने के लिये एक ‘विद्यालयी उपकरण’ कहा जाता है।
वर्तमान शैक्षिक परिवेश में शिक्षण का उद्देश्य सिर्फ रटना या बलपूर्वक ज्ञान को मस्तिष्क में बिठाना नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों में अधिगम करके सीखने की गतिशीलता लाना भी हैं।
शिक्षण के मुख्यतः तीन पक्ष होते हैं, जो एक-दूसरे से घनिष्ठता के साथ जुड़े रहते हैं।
ये तीन पक्ष हैं- शिक्षक, विद्यार्थी व पाठ्यक्रम। शिक्षण के द्वारा ही विद्यार्थी नवीन ज्ञान अर्जित करने में सफल होता है।
- क्लार्कः विद्यार्थी के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिये दी जाने वाली क्रिया शिक्षण है।
- बी.ओ.स्मिथ: अधिगम को अभिप्रेरित करने वाली क्रिया शिक्षण है।
- एन.एल.पेज: शिक्षण कला व विज्ञान दोनों है।
- कलाः अनुभवों पर आधारित है।
- विज्ञानः इसमें क्रमबद्धता पाई जाती है।
शिक्षण की अवधारणा (Concept of Teaching)
- शिक्षण की संपूर्ण प्रक्रिया एक त्रिस्तरीय पद्धति होती है जिसके तीन घटक (शिक्षक, विद्यार्थी एवं पाठ्यक्रम) होते हैं। शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक दूसरों को पढ़ाते (Teach) हैं, प्रशिक्षित (Trained) करते हैं या उन्हें अनुदेश (Instruct) देते हैं। ये सभी उन प्रक्रियाओं को संदर्भित करते हैं जो पढ़ाए जा रहे लोगों की संज्ञानात्मक संरचना (किसी के मस्तिष्क में ज्ञान की संरचना) में बदलाव लाने के लिये निष्पादित होती हैं। हालाँकि पढ़ाना, प्रशिक्षित और अनुदेशन अपने अर्थ में काफी भिन्न हैं।
- प्रशिक्षण में किसी व्यक्ति को किसी विशेष कार्य को करने के लिये तैयार करने की प्रक्रिया शामिल होती है। यह सीखने की प्रक्रिया का वर्णन करता है जिसे पूरा करने में कई साल लगते हैं। प्रशिक्षण में अपेक्षाकृत एक व्यवस्थित माध्यम से ज्ञान और कौशल से युक्त कोई व्यक्ति ज्ञान और कौशल को अन्य व्यक्तियों में हस्तांतरित करता है जो इसे नहीं जानते हैं।
- अनुदेशन को अक्सर शिक्षण के पर्याप्त के रूप में उपयोग किया जाता है, लेकिन व्यापक अर्ध में इसका संबंध शिक्षा की बजाय कौशल के विकास से ज्यादा होता है।
- प्रशिक्षण और अनुदेशन के विपरीत, शिक्षण ऐसी प्रक्रिया को संदर्भित करता है जो किसी व्यक्ति-विशेष के सर्वांगीण विकास हेतु उसको उसकी पूर्ण क्षमता तक पहुँचने में मदद करता है।
- शिक्षण प्रक्रिया में विद्यार्थियों का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास शामिल होता है। शिक्षण विद्यार्थियों में परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले प्रयासों की एक प्रक्रिया है। हालाँकि प्रशिक्षण, अनुदेशन और शिक्षण अर्थों में भिन्न होते हैं, लेकिन इन सभी के माध्यम से एक केन्द्रीय प्रक्रिया के रूप में विद्यार्थियों में अधिगम संपन्न होता है।
- शिक्षण प्रक्रिया सार्थक तभी होगी जब शिक्षक इस आशय से शिक्षण गतिविधि में शामिल हो कि विद्यार्थी इसके परिणामस्वरूप कुछ सीखेंगे।
- शिक्षण की प्रक्रिया तब भी संपन्न होती है जब कुछ शैक्षणिक गतिविधियों द्वारा शिक्षक अपने विद्यार्थियों को सीखने के उद्देश्य से संलग्न करता है, जैसे किसी गद्यांश को पढ़ाना, विद्यार्थियों के लिये रचना लिखना आदि।
#Tet Aspirant
#शिक्षण अभिवृत्ति/ अभिक्षमता (Teaching Aptitude) – UGC NET 2023/2024 Notes